Bihar Board Matric Hindi Subjective Paper : बिहार बोर्ड क्लास 10th हिंदी सहित क्वेश्चन आंसर

(1) जातिवाद के पोस्ट को उसके पक्ष में क्या तर्क देते हैं ।

उत्तर लेखक ने डॉ भीमराव अंबेडकर के साहब मीना करते हुए कहते हैं कि इस युग में जातिवाद के पोसको की कमी नहीं है । जातिवाद के पोस्ट को कई आधार पर इसके समर्थन करते हुए कहते हैं कि आधुनिक समाज कार्य कुशलता के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक माना जाता है । श्रम विभाजन के समर्थकों के अनुसार जाति प्रथा भी श्रम विभाजन का दूसरा रूप है ।

इसमें कोई बुराई नहीं है जाति प्रथा के समर्थकों को ऐसा मानना है कि हर व्यक्ति अपने परम रूपी पैसों में कुशल पूर्वक से लक्ष्य प्राप्त कर सकता है कार्य को सफलतापूर्वक संपन्न कर सकता जाति प्रथा की कारण सामाजिक व्यवहार बनी रहती है सामाजिकता फैलाने का शांति अवसाद नहीं रहता है ।

(2) बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर को आधुनिक की मनु क्यों कहा गया है ।

उत्तर  भारतीय संविधान के जनक माने जाने वाले डॉक्टर भीमराव अंबेडकर साहब को आधुनिक मनु के नाम से जाना जाता है प्राचीन समय में जो विधि से अधिक जानकारी रखता था तथा व्यवस्था का निर्माता होता था वही मनु कहलाता था वही कर ठीक आजादी के बाद भारत के लिए भीमराव अंबेडकर साहब ने किया है ।

हमारे भारत के जनता भारतीय संविधान के निर्माता पुरुष को आधुनिक मनु के रूप में जाने जाते हैं अंबेडकर साहब विधि विशेष के ज्ञानी थे क्रांतिकारी के महान पुरुष माने जाते थे ।

(3) जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का प्रमुख और प्रत्यक्ष कारण कैसे बना ।

उत्तर  डॉ भीमराव अंबेडकर के विचार से जाति प्रथा भारत में बेरोजगारी का एक प्रत्यक्ष और प्रमुख कारण हमारे भारतीय समाज में यदि कोई व्यक्ति अपने जाति से जुड़े कार्य करने के लिए कुशल हो या ना हो लेकिन उसे अपने जाति रूपि के लिए होना पड़ता है हिंदू धर्म का जाति प्रथा हमारे समाज के किसी भी व्यक्ति को ऐसा पेश करना भानुमति नहीं देता है । जो उसके पैतृक पैसा ना हो पैसा ना करके हमारा समाज भारत में जाति प्रथा के द्वारा बेरोजगारी की समस्या खड़ा कर दिया गया है ।

(4) जाति भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वाभाविक रूप क्यों नहीं कहीं जा सकती है ।

उत्तर जाति प्रथा श्रम विभाजन का स्वाभिक रूप नहीं है या मनुष्य को इच्छा के अनुकूल कार्य करने की क्षमता और कुशलता को न देखकर अपने पारिवारिक पैसा को करने के लिए वह होना पड़ता है माता-पिता के सामाजिक स्तर के अनुसार अर्थात गर्भाधान के समय में ही जाति के साथ-साथ पैसा का निर्धारण कर दिया जाता है।

चाहे वह बच्चा बड़ा होकर अपनी जाति रूपी पैसा में कुशल हो या ना हो अपने पेशाब में लगे रहने के बाद विकास करें या ना करें लेकिन जाती पैसा करने को मजबूर करता है इस प्रकार हम कर सकते हैं की जाती भारतीय समाज में श्रम विभाजन का स्वामी ग्रुप नहीं कहीं जा सकती है ।

(5) लेखक आज के उद्योगों में गरीबी और उत्पीड़न से भी बड़ी समस्या किसे मानती है और क्यों मानती है ।

उत्तर लेखक की दृष्टि में हमारे समाज में जाति प्रथा के द्वारा मनुष्य जो कार्य करने के लिए वह होते हैं वह समाज के लिए कुशल कल का उदाहरण है व्यक्ति को उसे काम को करने में उतनी ही मन लगता है कोई भी व्यक्ति यदि अपने पृथक पैसा में कुशल नहीं रहता है वह फिर भी दिवस होकर उसे कर को करने के लिए मजबूर होना पड़ता है जिसके कारण वह अच्छे मन से कुशल ढंग से कर नहीं कर पता है इस प्रकार लेखक के विचार से लोगों में गरीबी और उत्पीड़न से बड़ी समस्या है वह है जो पत्रक पैसा को करने के लिए विवश और वह रहता है ।

(6) लेखक ने पाठ में किन प्रमुख पहलुओं से जाति प्रथा को एक हानिकारक प्राय के रूप में दिखाया है ।

उत्तर लेखक ने जाति प्रथा को एक हानिकारक प्रथा के रूप में बताया है उसके अनुसार जाति प्रथा श्रमिकों को अश्वनिक विभाजन नहीं करती है जबकि विभाजित वर्क एक दूसरे की अपेक्षा उच्च नीच का कारण बना देती है ऐसा विश्व के किसी भी समझ में नहीं किया जाता है लेखक जाति प्रथा की विरोधी है लेखक के अनुसार वैसे जाति प्रथा वाले समाज कभी भी आदर्श नहीं हो सकता है जाति प्रथा पैसा का दोषपूर्ण निर्धारण नहीं करती है बल्कि मनुष्य को जीवन भर के लिए एक पैसा में बांध देती है जो उसके काबिल हो या ना हो ।

(7) सच्चे लोकतंत्र की स्थापना के लिए लेखक ने किन विशेषताओं का आवश्यक माना है ।

उत्तर लेखक के अनुसार लोकतंत्र शासन की एक पट्टी नहीं है बल्कि सामूहिक जितना जीवन बिताने का एक तरीका है वह समाज के विचारों का अनुभव आदान-प्रदान होता है यह आवश्यक है कि समाज में लोग अपने साथियों के प्रति श्रद्धा और प्रेम का भाव रखते हैं लेखक कहना चाहता है कि समाज आदर्श तभी हो सकता है जब समाज के लोगों में एक दूसरे के प्रति भाई चारा की भावना बना रहता है सच्चे लोकतंत्र के लिए समाज में उच्च नीच की भावना नहीं होनी चाहिए प्रत्येक लोग एक दूसरे को बराबर के भावनाओं से देखते हैं और समाज के प्रति हित की भावना होनी चाहिए उसी को आदर्श माना जाता है ।

(8) संविधान सभा के सदस्य कौन-कौन थे ।

उत्तर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को संविधान का जनक कहा जाता है संविधान सभा के अस्थाई सदस्य सभा के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा को चुना गया था डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के स्थाई सदस्य बने थे प्रारूप समिति के अध्यक्ष भीमराव अंबेडकर जी थे और आरोपी समिति में सदस्यों की संख्या 7 थी ।

Bihar Board Matric Hindi Subjective Paper
Bihar Board Matric Hindi Subjective Paper

(9) लेखक किस दिन अपना की बात करते हैं बिना मन का स्वरूप क्या होना चाहिए ।

उत्तर लेखक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर साहब बांदा करते हुए कहते हैं कि इस युग में जातिवाद की फोटो की जरूरत और कमी अधिक हो गई है जातिवाद के पोस्ट को कई आधार पर इसका समर्थन करते हुए कहते हैं कि आधुनिक समाज कार्य कुशलता के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक माना जाता है श्रम विभाजन में समर्थकों के अनुसार जाति प्रथा विश्राम विभाजन का दूसरा रूप ले चुका है इसमें कोई बुराई नहीं है जाति प्रथा के समर्थकों को ऐसा मानना है कि हर व्यक्ति अपने प्ररूपी पैसों में कुशल पूर्वक से लक्ष्य प्राप्त कर सकता है पार्क के सफलतापूर्वक संपन्न कर सकता है ।

जाति प्रथा के कारण सामाजिक व्यवहार की बनी रहती है और जब फैलाने के अवसर नहीं प्रदान किया जा सकता है यह समझ में जो गलत समाज की ओर चूजा ले जाते हैं उन्हें अच्छा से अच्छा जगह प्राप्त नहीं होता है जो भी समाज के द्वारा बांटा गया है जाती इस जाति में अपलोड लिपट जाते हैं  ।

Matric Subjective Paper 

Hindi Subjective  Click Here 

Leave a Comment