(1) यह भी नाम ना की ही बात है कि इस युग में भी जाति के उसको की कमी नहीं है पंक्ति का भावार्थ स्पष्ट करें ।
उत्तर प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ पुस्तक गोधोला भाग 2 के पाठ से श्रम विभाजन और जाति प्रथा पाठ से लिया गया है इसके लेखक डॉक्टर भीमराव अंबेडकर साहब हैं लेखक ने श्रम विभाजन के द्वारा उत्पन्न हुए एक अभिशाप जाति प्रथा के ऊपर ध्यान अंकित किए हैं ।
लेखक डॉ भीमराव अंबेडकर साहब वृंदावन करते हुए कहते हैं कि इस युग में जातिवाद के पुष्प की जरूरत की कमी नहीं है ।
जातिवाद की पुस्तकों के आधार पर इसका समर्थन करते हुए कहते हैं कि आधुनिक समाज कार्य कुशलता के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक मानना जाता है ।
श्रम विभाजन के समर्थकों के अनुसार जाति प्रथा भी श्रम विभाजन का दूसरा रूप है इसमें कोई बुराई नहीं है जाति प्रथा के समर्थकों को ऐसा मानना है कि हर व्यक्ति अपनी परंपरा रूपी पैसों में कुशलता पूर्वक से लक्ष्य प्राप्त कर सकता है ।
कर को सफलतापूर्वक संपन्न कर सकता है जाति प्रथा के कारण सामाजिक व्यवहार बनी रहती है सामाजिकता सामाजिकता फैलाने का ऑप्शन नहीं प्रदान किया जाता है ।
(2) खोखा किन मामलों में अपवाद था ।
उत्तर खोखर जीवन के नियम का अपवाह था खोखा जीवन के साथ-साथ घर के नियमों का भी अपवाह था मां-बाप के अधिक लाल प्यार के कारण वह शरारती हो गया था एक तरफ जहां सिंह साहब की पांच लड़कियां बहुत सुशील थी तो वहीं खोखा ठीक उसी उसका उल्टा था 5 साल की उम्र में ही नौकर के साथ-साथ अपने बहनों पर भी हाथ छोड़ देता था ।
इस प्रकार सेन साहब की नई मॉडल गाड़ी एक्सट्री मली लीड को कोई खतरा था तो बस खोखा से खतरा रहता था ।
(3) सेन साहब के परिवार में बच्चों के फलन पोषण में किया जा रही लिंग आधारित भेदभाव का अपना शब्द में वर्णन करें ।
उत्तर सेन साहब की पांच बेटियां थी सीमा रजनी आलोक शेफाली आरती पांचो लड़कियां बहुत सुशील थी पांच बहन के बाद एक भाई था खोखा खोखा का दूसरा नाम कशु था शहंशाह के घर में बेटा और बेटियों के लिए शिक्षा की अलग व्यवस्था थी बेटा को जितना प्यार मिलता था ।
उसके तुलना में बेटियों की बहुत ही काम बेटियों के ऊपर हर तरह का दबाव रहता था खोखा लाद प्यार में एक दम आजाद था इस प्रकार सेन साहब के परिवार में पालन पोषण का रिवाज भेदभाव तथा लिंग पर आधारित रहता था ।
(4) सेंड दंपति खोखा में कैसी भावनाएं देखते थे और उन भावनाओं के लिए उन्होंने उसकी कैसी शिक्षा तय की थी ।
उत्तर सेन साहब का कहना था कि मैं अपने बेटे को इंजीनियर बनाऊंगा उसमें अभी सीन से ही इंजीनियर बनने का गुरूर दिखाई देता है ।
खोखा को किसी प्रकार का स्कूली शिक्षा ट्रेड शिक्षा न देकर अपने काम के लिए अशिक्षित किया जा रहा था सेन साहब का मन था कि वह बच्चे की किसी भी स्कूल में ना भेज कर लोहार ठोकने और पीटने में अभी से ही व्यस्त कर दो ताकि बच्चे की उंगलियां मजबूत होकर उसे कार्य के लिए काफी वफादार हो जाए ।
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(5) सेन साहब और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई और पत्रकार मित्र ने उसे किस तरह का उत्तर दिया था ।
उत्तर एक दिन ड्राइंग रूम में दोस्तों के बीच सें साहेब गपशप कर रहे थे दोस्तों के साथ दूर के रिश्तेदार होने वाले अखबार में विजय अपने बेटे के साथ उपस्थित हैं वह बच्चा खोखा से भी छोटा था वह पर बैठे लोगों में से किसी ने उसे बच्चों की हरकत दिखा कर उसकी तारीफ कर दी और उन साहब से पूछा कि बच्चा स्कूल तो जाता होगा ।
इसके पहले पत्रकार महोदय कुछ जवाब देते कि सेन साहब शुरू किया कि मैं तो गुफा को इंजीनियर बनाना बनाने जा रहा हूं पत्रकार महोदय चुपचाप मुस्कुराते रहें जब उनसे पूछा गया कि अपने बच्चों को विषय में आपका क्या ख्याल है ।
उन्होंने जवाब दिया कि मैं चाहता हूं कुमार जेंटलमैन जरूर बने और जो कुछ उसका काम है उसे पूरी आजादी से करने का मौका दिया जाए ।
(6) मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा हानिकारक क्या बताना चाहता है ।
उत्तर मदन और ड्राइवर के बीच के विवादों के द्वारा लेखक अनिल विलोचन शर्मा ने अमीरी और गरीबी के बीच गहरी खाई को दिखाने का प्रयास किया है झोपड़ियां महल वालों के बीच के झगड़ों के द्वारा परिवार की आर्थिक स्थिति सामाजिक विषमता उच्च नीच की भावनाएं और मनोवैज्ञानिक चित्र प्रस्तुत की हैं ।
तभी तो मदन के द्वारा गाड़ी को हानि न पहुंच जाने के बाद भी ड्राइवर के द्वारा उसे धक्का दिया जाता है ।

सेन साहब के द्वारा मदन की मां-बाप को डांट फटकार दिया जाता है खोखा के द्वारा गाड़ी का लाइट तोड़ने के बाद भी उसे प्यार से कहा जाता है इसमें इंजीनियर बनने का गुण है सिंह साहब कहते हैं कि खोखा या जाना चाहता है कि लाल बत्ती के अंदर क्या-क्या होता है ।
(7) कशु और मदन के बीच झगड़े का क्या कारण था इस प्रसंग के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहते हैं ।
उत्तर कासु और मदन के बीच झगड़े का मुख्य कारण सेन साहब के ड्राइवर के द्वारा मदन को जख्मी करना और सेन साहब के द्वारा मदन के मां-बाप को डांट फटकार लगाना था जब मैं अपने दोस्तों के साथ लड्डू नाचा रहा था तो कशू उर्फ खोखा वहां पहुंच गया खोखा भी लड्डू नचाना चाहता था मां बाप के अभी लेना के प्रसिद्ध शोध में मदन खोखा को लड्डू नचाने से मना कर दिया था ।
मदन अपने दोस्तों का नेता था मना करने के बाद भी कसा ने मदन के एक घुसा मार दिया उसके बाद दोनों में झगड़ा हो गए इसी प्रकार लेखक इस प्रसंग के द्वारा दिखाना चाहता है कि लाल प्यार में पाला हुआ न बच्चा जिसके अमीरी और गरीबी का शिक्षा दिया जाता है ।
उसमें बच्चों के अंदर शिष्टाचार बड़े के प्रति आदर सम्मान ना के बराबर होता है अमीरी गरीबी में गहराई में दिखाई पड़ती है ।
(8) रोज-रोज अपने बेटे मदन की पिटाई करने वाले गिरधर मदन द्वारा कसा की पिटाई करने पर उसे दंडित करने का बजे अपनी छाती से क्यों लगा लेता है ।
उत्तर मदन के द्वारा काशी के बीच के दांत तोड़ देने पर उसके पिता दंड देने के बजाय कहते हैं शाबाश बेटा एक तेरा बाप था और तूने तो खोखा के दो-दो 20 के दांत तोड़ डाला गिरधर खुश था वह संविधान सब दिन शोषण का शिकार हुआ था ।
लेकिन उसका बेटा मदन शोषण का अत्याचार और न्याय के विरोधी निकला गिरधर खुश था कि उसका बेटा का इंतकारी विचार का निकल गया है । और उसे अधिक मानने लगा उसकी बात उन्हें बहुत ज्यादा लाड प्यार दिया गया ।
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