बिहार बोर्ड मैट्रिक क्वेश्चन पेपर
(1) नाखून क्यों बढ़ते हैं आप प्रश्न लेखक के आगे कैसे उपस्थित हुआ ।
उत्तर नाखून क्यों बढ़ते हैं कहानी के लेखक हमारे हजारी प्रसाद द्विवेदी जी हैं जब लेखक के बेटी ने पूछी की नाखून क्यों बढ़ जाता है या सुनकर लेखन समंजक में पड़ गए लेखक को इस प्रश्न का उत्तर देना ।
उन्होंने सोचने पर विवश कर दिया लेखक के दिमाग में भी आप प्रश्न बार-बार घूमने लगा कि मानव समाज नाखून बार-बार काटता है।
वह पुणे बैठ जाता है प्रकृति के द्वारा दिया गया नाखून के स्वरूप के बढ़ाने की स्थिति अच्छे के साथ-साथ अच्छा समय डाल दिया गया है ।
(2) लेखक क्यों पूछता है कि मनुष्य किशोर बढ़ रहा है पशुता की ओर या मनुष्यता की ओर स्पष्ट करें ।
उत्तर लेखक की छोटी बेटी के द्वारा पूछा गया प्रश्न लेखक के भावनाओं को उजागर कर देता है मनुष्य वास्तविक ही मनुष्यता की ओर बढ़ रहा है मनुष्य अपना नाखून काटकर बार-बार यह दिखाना चाहता है कि हम जंगल में जानवर के साथ रहने वाले दो मनुष्य नहीं है ।
हम आधुनिक मनुष्य हैं बार-बार नाखून को बढ़ाना मनुष्य के द्वारा उसे बार-बार काट देना ही मानव समाज पशुता को छोड़कर मनुष्यता की ओर बढ़ रहे हैं ।
(3) बढ़ते नाखून द्वारा प्राकृतिक मनुष्य को क्या याद दिलाती है ।
उत्तर जब मानव समाज जंगलों में जानवर की तरह विचार करता था तब वह अस्त्रों के रूप में अपनी रक्षा के लिए नाखून का उपयोग करता था जब भी जंगली जानवर मनुष्य के ऊपर बार करता था तो एक मात्र सहारा नाखून ही था ।
लेकिन आज मानव समाज अपराध रूप बढ़ती नाखून इतना ज्यादा हो गया है कि जंगल में विचरण करने वाला मनुष्य ज्यादा खतरनाक जिसका उदाहरण है हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराया गया परमाणु बम है।
(4) लेखक के द्वारा नाखून को अस्त्र के रूप में देखना कहां तक संगत है।
उत्तर लाखों वर्ष पूर्व मनुष्य जंगली था तो अपने विरोध को पर छोड़ने के लिए नाखून का इस्तेमाल आदरणीय रूप में करता था नाखून ही उनके मुख्य अस्त्र थे वर्तमान समय में नाखून को अस्त्र कहा सकते हैं ।
लेकिन अच्छा की दृष्टि से इसका स्थान खत्म हो चुका है आज वैज्ञानिक युग में आधुनिक हथियार परमाणु बम के सामने नाखून का कोई अस्तित्व ना रहा है ।
(5) मनुष्य बार-बार नाखून को क्यों काटता है ।
उत्तर नाखून का बड़ा होना मनुष्य के पास होता की ओर ले जाना कहलाता है बढ़ता हुआ नाखून मनुष्य की आवाज साफ चेहरा दिखता है जब मनुष्य जंगलों में जानवर के साथ रहता था तब मनुष्य बार-बार अपने नाखून को काटकर यह दिखाना चाहता है ।
कि हम मानव समाज की ओर बढ़ रहे हैं और हमारा समाज मानव प्रचन रूप है शिक्षित समाज के स्वच्छ को ध्यान में रखते हुए बढ़ती नाखून में गंदगी नहीं फंसे तो दिखाने के लिए मनुष्य अपने नाखून को काटते हैं ।
(6) सुकुमार विनोद कुमार के लिए नाखून को उपयोग में लाना मनुष्य ने कैसा शुरू किया लेखक ने इस संबंध में क्या बताया ।
उत्तर हजार वर्ष पूर्व मनुष्य अपने नाखून को सुकुमार विनोद कुमार के लिए उपयोग में लाना शुरू किया था बादशाह के कामसूत्र के अनुसार भारतवासी नाखूनों को काटने कई तरीके प्रचलित है ।
जैसे त्रिकोण चंद्राकर तत्काल के आकार का मॉम और अल्लाहता रगड़कर वे लोग लाल और चिकन बनाया करते थे वह लोग बड़े-बड़े नाखून को पसंद करते थे ।
(7) नाखून बढ़ाना और उन्हें काटना कैसे मनुष्य की सहायता विद्या है इसका क्या अभिप्राय है ।
उत्तर मानव शरीर में बहुत सा शहजाद वृत्तीय है उसमें नाखून को बढ़ाना एक शहजाद प्रीति है नाखून का बढ़ना मनुष्य को प्रसूता की पहचान दिलाती है और वही नाखून काटा मनुष्य को मनुष्यता की आती खाती है ।

आज हमारे मानव समाज जंगलों में रहने वाला जानवर के साथ विचरण करने वाला वह वन मनुष्य नहीं रहा आज मनुष्य अपने भीतर पशुओं को बढ़ाने नहीं देना चाहता है।
(8) देश की आजादी के लिए प्रयुक्त किन शब्दों की अभी लेखा करता है और लेखक के निष्कर्ष क्या है ।
उत्तर देश की आजादी के समय हजार हमारा देश स्वतंत्र कहे जाने लगा इसके पहले हम लोग अंग्रेजों के गुलाम थे लेकिन आज हम सब स्वतंत्र हैं स्वतंत्रता दिवस को संविधानता दिवस के रूप में जानते हैं 15 अगस्त 1947 को शिवराज का कर सभी में स्वर्ण का बंधन लगा दिया गया ।
सभी देवता का अर्थ होता है अपने ही अधीन में रहना दूसरे के अधीन नहीं रहना लेखक के निष्कर्ष के अनुसार भारतीय लोगों अधीनता के रूप में ना सोचकर स्वाधीनता के रूप में सोचते हैं ।
(9) समाधीनता शुद्ध कि सार्थकता लेखक क्या बताते हैं ।
उत्तर देश की आजादी के बाद हमारे देश स्वतंत्र कहां जाने लगा हम लोग स्वतंत्रता दिवस को स्वाधीनता दिवस के रूप में जानते हैं 15 अगस्त 1947 की शिवराज कहकर सभी में स्वराज का बंधन लगा दिया गया स्वाधीनता का अर्थ होता है अपने ही अधीन में रहना दूसरे के अधीन नहीं रहना लेखक के निष्कर्ष के अनुसार के भारतीय लोग अधीनता के रूप में ना सोचकर स्वाधीनता के रूप में सोचते हैं ।
(10) लेखक ने किस प्रसंग में कहा कि बंदरिया मनुष्य को आदर्श नहीं बन सकती है।
उत्तर हजारी प्रसाद द्विवेदी द्वारा रचित कहानी नाखून क्यों बढ़ता है में लेखक ने हमारी पुरानी और नई परंपराओं को कल मिल कर दिया मैं दिखाने का प्रयास किया है ऐसा माना है कि जो कुछ भी हमारा पुराना है उसे हम सीमेंट ना रहे हैं या जो कुछ नया है उसे ग्रहण नहीं कर सकते हैं ।
यदि कोई वस्तु पुराना विशेषता के हो तो उसे त्यागना भी नहीं चाहिए और यदि हानिकारक नया हो तो उसे ग्रहण भी नहीं करना चाहिए लेखक के अनुसार सोच समझकर पुरानी और नई परंपराओं को ताल में करना बहुत ही जरूरी है ।
आज के समय में आज आप लोगों को पता हुआ कि मनुष्य को ताल में रहना बहुत ही जरूरी है।
क्योंकि इस समय लेखक उसे समय के अनुसार सोच रहे थे कि किस तरह से लोगों में तालमेल की समस्या को खत्म करके तालमेल की जरूरत को बढ़ावा दरवाजा इसीलिए हजारी प्रसाद द्विवेदी को मन में भी यही था कि जल्द से जल्द सही को देश में सहमति के अनुसार एक साथ चलने का मौका दिया जाए ।
Matric Hindi Subjective Question Answer 2026
Matric Hindi Subjective Question Answer 2026 |
Click Here |