बिहार बोर्ड मैट्रिक क्वेश्चन क्वेश्चन आंसर
(1) जातियां और राष्ट्रीय समितियां के स्वरूप का अंतर करते हुए लेखक दोनों में क्या समानता बताता है।
शाहित के विकास में प्रतिभाशाली की तरह जातियों की ओर जन समुदाय की विशेष भूमिका होती है उदाहरण स्वरुप 20 के मानचित्र पर या सांप से लगता है कि यूरोप की संस्कृति विकास में प्राचीन यूनानियों की जो भूमिका रही है उतना किसी भी जाति की नहीं है एक तरफ जहां सृष्टि और सिमिटों में समानताएं हैं ।
वहां अंतर भी जिसमे राष्ट्र की सभी तत्वों पर मुसीबत आती है तब उसे समय अपनी राष्ट्रीय क्षमता का ज्ञान बहुत अच्छी तरह हो जाता है समाजवादी व्यवस्था कायम होने पर जाती स्मिता बिकती नहीं है बल्कि और मजबूत हो जाती है हिटलर के द्वारा से वेट संघ का आक्रमण इसका उदाहरण माना जाता है ।
(2) जातीय सीमांत लेखक कि प्रसंग में उल्लेख करता है और उसका क्या महत्व बताता है ।
शाहिद के विकास में प्रतिभाशाली की तरह जातियों की ओर न जैन समुदाय की विशेष भूमिका होती है उदाहरण स्वरूप विश्व के मानचित्र पर या सा दिन लगता है कि यूरोप की संस्कृति विकास में प्राचीन यूनानियों की जो श्रमिक भूमिका है उतना किसी भी जाति के नहीं है ।
एक तरफ जहां राष्ट्रीय नेताओं में समानांतर है वहां अंतर भी है जिससे मैं राष्ट्र के सभी तत्वों पर मुसीबत आती है तब उसे समय अपनी राष्ट्रीय चिंता का ज्ञान बहुत अच्छी तरह हो जाता है समाजवादी व्यवस्था कम होने पर जाती है सिमट दिखाई नहीं है बल्कि और मजबूत हो जाती है हिटलर के द्वारा सोवियत संघ का आक्रमण इसका उदाहरण माना जाता है ।
(3) शाहिद सापेक्ष रूप में स्वाधीन होता है इस मत को प्रमाणित करने के लिए लेखक ने कौन से तर्क और प्रणाम उपस्थित किया हैं ।
पारिस्थितिक और मनुष्य दोनों का संबंध तुलनात्मक है यही कारण है कि साहित्य सापेक्ष रूप से स्वाधीनता होता है मनुष्य की चेतन को आर्थिक संबंधों से प्रभावित मानते हुएदुआत्मक है यही कारण है कि शाहिद सापेक्ष रूप से स्वाधीनता होता है मनुष्य की चेतन को आर्थिक संबंधों से प्रभावित मानते हुए धनात्मक भौतिक अपवाद उसकी स्वाधीनता स्वीकार करता है ।
यदि मनुष्य परिस्थितियों का नियामक नहीं है तो परिस्थितियों भी मनुष्य को नियामक नहीं है ।
(4) निबंध का संपादन करते हुए लेखक कैसा स्वप्न देखते हैं उसे साकार करने में परंपरा के क्या भूमिका हो सकती है विचार करें ।
निबंध का समापन करते हुए लेखक ने अपने देश भारत में शिक्षा के लिए विशेष जोड़ देते हुए साहित्य के लिए प्रेरित क्या है हमारे देश में जितने लोग साक्षर होंगे ।
उतना ही सहित पढ़ने के लिए प्रेरित होगा रामायण महाभारत ग से अच्छे ज्ञान प्राप्त करके लोगों के बीच संस्कृत का आदान-प्रदान करना चाहिए शाहिद की परंपरा का गुणवान समाजवादी में हिस्सा संभव है समाजवादी संस्कृति पुरानी संस्कृति से नाता नहीं तोड़ती है बल्कि उसे गुना को ग्रहण कर आगे की ओर बढ़ती है ।
(5) प्रस्तुत पंक्ति का स्पर्श व्याख्या करें ।
पंक्ति हमारे पाठ पुस्तक गुड़ा भाग 2 के परंपरा का मूल्यांकन पाठ से लिया गया इसके लेखक रामविलास शर्मा जी इस कहानी के द्वारा लेखन परंपरा के ज्ञान और मूल्यांकन के विवेक को हमारे अंदर जागते हुए सामाजिक विकास में क्रांतिकारी को भूमिका को साफ-साफ भी झांझर कर करके रख दिया है ।
पारिस्थितिक और मनुष्य दोनों का संबंध धनात्मक है यही कारण है कि सहित सफेद रूप से स्वाधीनता होता है मनुष्य की चेतन को आर्थिक संबंधों से प्रभावित मानते हुए तथा आत्मक भौतिकवाद उसकी स्वाधीनता स्वीकार करता है यदि मनुष्य परिस्थितियों को नियामक नहीं है तो परिस्थितियों भी मनुष्य के नियामक नहीं है आवश्यकता है ।
(6) लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का क्या संबंध था ।
बिरजू महाराज के दूसरे के पर्यायवाची से बनाए गए हैं बिरजू महाराज का जन्म लखनऊ के जाफरी अस्पताल में 4 फरवरी 1938 ई को हुआ था उनके पिताजी लखनऊ में नवाबों के यहां कार्यक्रम में जाया करते थे बिरजू महाराज के तीनों बहनों का जन्म रामपुर में हुआ था
बिरजू महाराज के पिताजी रामपुर में अधिक समय व्यक्तित्व किए हैं उनके परिवार के विकास का अवसर रामपुर में अधिक से अधिक मिला है जो की बहुत ही प्रभावशाली माना जा रहा था वहां रामपुर नगर बिरजू महाराज के लिए माना जाता था ।
(7) बिरजू महाराज कौन-कौन से बाढ बजाते थे ।
बिरजू महाराज कल की प्रेमी थे वह खुद सीटर गिटार हारमोनियम बांसुरी इत्यादि वह यंत्र बजाते थे साल की उम्र में 27 साल की उम्र में संगीत नाटक अकादमी अवार्ड उनको मिला था ।
(8) रामपुर के नवाब की नौकरी छूटने पर हनुमान जी को प्रसाद क्यों चढ़ाया था ।
बिरजू महाराज के पिताजी रोज हनुमान जी का प्रसाद मांग के 22 साल गुजर गए हैं अब नौकरी छूट जाए नवाब साहब बहुत नाराज है कि तुम्हारा लड़का नहीं होगा तो तुम भी नहीं रह सकते हैं खैर बाबूजी बहुत खुश हुए और उन्होंने मिठाई बाटी हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाया की जा छूट गई ।
(9) नृत्य के शिक्षा के लिए पहले पहले बिरजू महाराज किस संस्था से जुड़े और वहां किसके संपर्कमें आए थे ।
शिक्षा के लिए बिरजू महाराज निर्मला जी के स्कूल में यहां दिल्ली में हिंदुस्तानी डांस म्यूजिक में चले गए इस समय वहां कपिल जी नीला कृपलानी आदि हिंदुस्तानी डांस एकेडमी के संपर्क में आए थे।
(10 ) किन के साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिलाथा ।
कोलकाता में बिरजू महाराज अपने बाबूजी और चाचा जी समूह महाराज के साथ में नाचे थे उसमें प्रथम पुरस्कार बिरजू महाराज को मिला था चाचा कहने लगे कि देखो भैया बड़े मियां तो बड़े मियां छोटे मियां सुभान अल्लाह चिन्ह और मेडल वगैरा उन्हें मिला ।
(11) बिरजू महाराज के गुरु कौन थे उनका संक्षिप्त परिचय दें ।
बिरजू महाराज के गुरु बाबूजी थे वह राजाओं के यहां नाचे जाते थे बिरजू महाराज के बाबूजी जौनपुर मेहंदीपुर कानपुर देहरादून कोलकाता मुंबई आदि में प्रयोग करने जाते तो वह साथ में बिरजू महाराज को जरूर रखते थे उनके बाबूजी अच्छे स्वभाव के थे कल प्रेम होने के साथ-साथ हुए अपने दुख को कभी भी किसी के सामने प्रकट नहीं करते थे बिरजू महाराज को तमिल उनके बाबूजी ने ही दिए बिरजू महाराज जब 9:30 साल के थे तो उनके पिताजी की मूर्ति हो गई थी ।
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