बिहार बोर्ड मैट्रिक क्वेश्चन आंसर
(1) नागरी लिपि के आरंभिक लेखक कहां से प्राप्त हुए हैं ।
लेखक के अनुसार ऐसी मान्यता है कि नागरी लिपि के आरंभिक लेख दक्षिण भारत से ही प्राप्त हुए हैं हिमाचल पर्वत के नीचे रखने प्रदेश से मिलने की जानकारी प्राप्त होती है सर्दियों में तथा उत्तर भारत में नौवीं सदी से प्राप्त होने लगी है ।
राजा एवं राजेंद्र जैसी प्रतापी राजाओं के सिक्के पर भी नागरी लिपि के अच्छा देखने को मिलते थे ।
(2) ब्राह्मी और सिद्धांत लिपि की तुलना में नागरी लिपि का मुख्य पहचान क्या है ।
गुप्त काल के ब्राह्मी लिपि तथा वाद की सिद्धांत लिपि के अक्षरों के सिरों पर ठोस त्रिकोण मिलते हैं देवनागरी या नागरिक लिपि के अक्षरों के सिरों पर ठोस त्रिकोण नहीं पाया जाता है इसके सिरों पर पूरी लकीर पाई जाती है जितना अच्छा चौड़ा होता है अक्षर के ऊपर उतना ही लकीर होता है ।
(3) उत्तर भारत में किन शासको के प्राचीन नागरिक लेख प्राप्त होते हैं ।
विद्वानों का ऐसा माना है कि उत्तर भारत के मिहिर भोज महेंद्र पाल तथा गुर्जर प्रतिहार वंश के राजाओं से प्राप्त अभिलेखों में नागरिक लिपि की पहचान मिलती है मोहम्मद गजनबी के टकसाल में डाले गए चांदी के सिक्के तथा अलाउद्दीन खिलजी के समय किसी के पर भी नागरिक लिपि की पहचान मिली है ।
(4) नगरी को देवनागरी क्यों कहते हैं ।
लेखक इस संबंध में क्या बताता है नागरिक की उत्पत्ति के संबंध में लेखक का क्या कहना है पटना से नगरी के का क्या संबंध लेखक ने बताया है नागरिक के उत्पत्ति के संबंध में विद्वानों का मत है कि गुजरात नगर ब्राह्मणों ने सबसे पहले इस लिपि का इस्तेमाल किया है।
कुछ का मानना है कि सभी नगर सिर्फ नगर है परंतु काशी देवनागरी है पतिदेव कम नामक नाटक से या जानकारी मिलती है कि पाटलिपुत्र अर्थात पटना को नगर नगर नाम से पुकारते थे यदि कारण है कि वह उपयोग होने वाली शैली नगर या नगरी बनी होगी गुप्त वंश के राजा चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रम द्वितीय देव के नाम से जाने जाते थे पटना नगर को इसलिए देव नगर कहा जाता है वहां उपयोग में आने वाली लिपि देवनागरी कही जाती है ।
(5) नागरी लिपि का एक सर्वदेशिक लिपि थी ।
नगर लिपि भारत के साथ-साथ पड़ोसी देशों में उपयोग होता है आठवीं से नवीन साड़ी से आरंभिक हिंदी का साहित्य मिलने लग जाता है उसे समय से हमारी नागरिक लिपि पूरे देश में व्याप्त था आठवीं 12वीं सदी में या लिपि स्वदेशी की लिपि थी ।
(6) नागरी लिपि के साथ-साथ किसका जन्म होता है इस समय में लेखक क्या जानकारी देते हैं ।
देवनागरी लिपि के मुख्यतः नेपाली मराठी संस्कृत प्राकृतिक भाषाएं लिखी जाती है नागरी लिपि के साथ-साथ उनके प्रादेशिक भाषाएं भी जन्म लेती है उत्तरी भारत से लेकर दक्षिणी भारत तक तथा भारत के पड़ोसी देश में भी नागरी लिपि से अद्भुत नहीं है ।
(7) गुर्जर प्रतिहार कौन थी ।
अनेक विद्वानों का मत है कि यह गुर्जर प्रतिहार बाहर से भारत आए थे ईशा की आठवीं सदी में पहले अवश्य प्रदेश में इन्होंने अपना शासन खड़ा किया और बाद में भी कन्नौज पर अधिकार कर लिया था मिहिर भोज महेंद्र पाल आदित्य गुर्जर प्रतिहार वंश के प्रमुख शासक हुए ।
(8) निबंध के आधार पर कॉल कम से नागरिक लिखो से संबंधित नाम प्रस्तुत करें ।
देवनागरी लिपि करीब दो सही पहले बार पहचान में आए थे इस लिपि के टाइप बनी देवनागरी लिपि में पुस्तक छापने लगी समाज में लोगों में इस लिपि की जानकारी आने लगी इस प्रकार देवनागरी लिपि के अक्षरों में स्थिरता आ गई लिपि में मुख्ता नेपाली मराठी संस्कृत प्रकृति और हिंदी भाषाएं लिखी जाती है नागरिक लिपि के साथ-साथ अनेक परदेसी भाषण भी जन्म लेती है उत्तरी भारत से लेकर दक्षिणी भारत तक तथा भारत के पड़ोसी देश भेजने नागरिक लिपि से अछूत अद्भुत नहींहै ।
(9) प्रस्तुत पंक्ति का स्पर्श व्याख्या करें बाकी नगर सिर्फ नगर है परंतु काशी देवनागरी को प्रस्तुत करें ।
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ पुस्तक गोडाला भाग 2 के नागरी लिपि से लिया गया है इसके लेखक गुणाकर मुले जी हैं या निबंध गुणाकार मूल्य की पुस्तक भारतीय लिपियों की कहानी से लिया गया है इसमें हिंदी की अपनी लिपि यादव नागरिक के ऐतिहासिक देखा प्रस्तुत की गई है जो हमारे भीतर लिपि के बारे में जिज्ञासा जैन की कोशिश की है नागरिक लिपि की उत्पत्ति के संबंध में विद्वानों का मध्य है कि गुजरात नगर ब्राह्मणों ने सबसे पहले इस लिपि का इस्तेमाल किया है कुछ का मानना है कि बाकी नगर सिर्फ नगर है परंतु काशी देवनागरी है
(10) हां इसके अक्षरों के सिरों की पूरी लकीरें बन जाती है ।
प्रस्तुत पंक्ति हमारे पाठ पुस्तक गोधरा भाग 2 के नागरिक लिपि से लिया गया है इसके लेखक गुणाकार मूल्य की हैं यह निबंध गुणाकार मूल्य की पुस्तक भारतीय लिपियों की कहानी लिया गया है इसमें हिंदी की अपनी लिपि यादव नगर लिपि के इतिहास की रेखा प्रस्तुत की गई है जो भीतर लिपि का सबसे जिज्ञासा हमारे जागने की कोशिश की है गुप्त काल की ब्राह्मणी लिपि तथा बात की सिद्धांत लिपि कैचरों के सिरों पर ठोस त्रिकोण मिलते हैं लेकिन देवनागरी या नागरिक लिपि के अक्षरों के सिरों पर ठोस त्रिकोण नहीं पाया जाता है बल्कि इसके सिरों पर पूरी लकीर पाई जाती है जितना अच्छा चौड़ा होता है अच्छा के ऊपर उतना ही लकीर होता है ।
(11) परंपरा का ज्ञान किसके लिए सबसे ज्यादा आवश्यक है और क्यों ।
लेखक के अनुसार हमारे देश के वैसे लोग जो शहीद के क्षेत्र में बदलाव करना चाहते हैं युग परिवर्तन करना चाहते क्रांतिकारी सहित के लिए नव निर्माण करना चाहते हैं अपने परंपराओं को तोड़ना चाहते हैं आप उन लोगों के लिए शहीद की परंपरा का ज्ञान बहुत जरूरी है यही एक उपाय है कि जिससे शाहिद की धारा को मुड़कर विकसित सहित हृदय गतिशील शाहिद की ओर जाया जा सकता है ।
(12) भारत की वह जातियां मुख्ता संस्कृति और इतिहास की देन है कैसे ।
बहु जाती है राष्ट्र की हैसियत से कोई भी देश भारत का मुक्काला मुकाबला नहीं कर सकता है भारत में बहुत जाट के लोग निवास करते हैं या बहुत जातीय राष्ट्र के रूप में निवेश में अगर नहीं रहता है हमारे विभिन्न जाट के लोग में एक दूसरे के प्रति राजनीतिक दबाव दबाव का कोई खास गलियां चार नहीं है संसार का कोई भी देश सेवा जाती राष्ट्र की हैसियत से इतिहास को भी देखा जाए तो भारत का मुकाबला नहीं किया जा सकता है भारत की संस्कृति और सभ्यता यहां की प्रजातियां पर प्रभाव डालता है भारत में विभिन्न जाति के लोगों में हमेशा मिलजुल रहने का काम किया जाता इतिहासक रहा है ।
(13) शाहित के विकास पर प्रक्रिया इस तरह संपन्न नहीं होती है जैसे समाज में लेखक का अयस्क स्पष्ट करें ।
फेसबुक पंक्ति हमारे पाठ पुस्तक घोषणा भाग 2 के परंपरा का मूल्यांकन कहलन वाले पाठ से लिया गया है इसके लेखक रामविलास शर्मा है इस कहानी के द्वारा लेखन परंपरा के ज्ञान और मूल्यांकन के विवेक को हमारे अंदर जागते हुए सामाजिक के विकास में क्रांतिकारी भूमिका को साफ-साफ चलकर रख दिया है सहित में विकास की प्रक्रिया सामाजिक विकास के रफ्तार की जैसी नहीं है होती है सामाजिक विकास में पूंजीवादी सभ्यता और समाजवादी सभ्यता के बीच तुलना किया जा सकता है लेकिन सहित के निवास विकास के क्षेत्र में ऐसी परंपरा नहीं है कि पूंजीवादी कवि श्रेष्ठ है या समाजवादी कवि श्रेष्ठ है जो कभी कथाएं तथा सहित के रूप में दिया गया है ।
उपहार इस कभी नहीं भूल जा पाया जा सकता है और नहीं उसे कोई दोबारा दे सकता है जैसे शेक्सपियर की नाटकों के द्वारा जोड़ा देना समर्थन की बात ना रहा है ।
(14) प्रस्तुत पंक्ति का स्पर्श व्याख्या करें ।
पशुपति हमारे पाठ पुस्तक गोधरा भाग 2 के परंपरा के मूल्यांकन कहानी से लिया गया है इसके लेखक रामविलास शर्मा इस कहानी के द्वारा लेखन परंपरा के ज्ञान और मूल्यांकन के विवेक को हमारे अंदर जागते हुए सामाजिक विकास में क्रांतिकारी का भूमिका को साफ-साफ चलकर कर रख दिया है विभाजित बंगाल में शहीद की परंपरा का ज्ञान अधिक और पंजाब की परंपरा का ज्ञान अधिक और पंजाब में काम जहां सहित पर परंपरा का ज्ञान अधिक होगा वहां का समाज अपने मूल परंपरा से अधिक दिनों तक जुड़े रहेंगे जहां ज्ञान काम होगा वहां धीरे-धीरे अपने मूल परंपरा से हट जाएंगे ।
(15) परंपरा का मूल्यांकन में सहित के वर्गीयाधर का विवेक लेखक क्यों महत्वपूर्ण मानता है।
शाहित के परंपरा का मूल्यांकन शीर्षक वर्गों के विरुद्ध परिश्रम करने वाले जनता के हितों में समर्थन करता सहित के परंपरा का मूल्यांकन का आधार रचना का श्रेष्ठ श्रमिक जनता का आश्रम ही है इस प्रकार परंपरा का मूल्यांकन सहित के वर्गीय आधार के ज्ञान महत्वपूर्ण माना जाता है जो कि पूरा विश्व में ही इसका चर्चा किया जाता है ।
जो कि काम नहीं है आप लोगों को बता दे कि आप लोग को पता ही होगा की परंपरा का मूल्यांकन चैप्टर से बहुत शिक्षा अधिक मिलती है जो की सभी जनता को गांव समाज को मारना चाहिए हम लोग को मिलजुल कर ही रहना है।
तभी आप लोगों को परंपरा को लेकर के आप लोग आगे की ओर चलेंगे जैसे कि आप लोग बता दे की जितनी नए समाज के लोग आ रहे हैं उन सभी परंपराओं को लेकर चल ही रहे हैं ।
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